दैनिक आरती
मंगला आरती दर्शन (सुबह)
राजश्री आरती दर्शन (दोपहर)
सायंकालीन आरती दर्शन (शाम)
शयन आरती दर्शन (रात्रि)
🌸संक्षिप्त अर्थ और महत्व 🌸
आरती का शाब्दिक अर्थ है – दीपक या ज्योति द्वारा ईश्वर की उपासना करना। जब भक्त मिलकर दीपक, धूप, घंटी और शंख की ध्वनि के साथ देवी की आरती करते हैं, तो यह उनके प्रेम, श्रद्धा और भक्ति की अभिव्यक्ति होती है। आरती में जलती हुई ज्योति ज्ञान, पवित्रता और प्रकाश का प्रतीक है, जो अज्ञान और अंधकार को दूर करती है।आरती गाने और देखने से मन को शांति, हृदय को शक्ति और आत्मा को दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है।
प्रतिदिन आरती का महत्व:
माँ विन्ध्यवासिनी की चार आरतियाँ (सुबह, दोपहर, संध्या और रात्रि) भक्तों को दिव्य ऊर्जा और शांति प्रदान करती हैं। मान्यता है कि आरती में सम्मिलित होने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
चारों आरती समय
1. मंगल आरती (प्रातः 04:00 से 05:00 बजे ) – प्रातः काल जब मंदिर में पहली बार पट खुलते हैं। 2. राजश्री आरती (दोपहर 12:00 से 01:30 बजे) 3. सायंकालीन आरती (शाम 07:15 से 08:15 बजे) 4. शयन आरती (रात्रि 09:30 से 10:30 बजे) श्रद्धा और भक्ति के साथ आरती देखने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
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